“स्नेह”- मां बेटी के रिश्ते की कहानी

 

“स्नेह”- मां बेटी की कहानी 

नमस्कार पाठयकों, ये तो हम सभी जानते है मां बेटी का रिश्ता कितना खास होता है।इसलिए हम आज आप आप सभी के लिए इस ब्लॉग पोस्ट में मां बेटी के खट्टे -मीठे रिश्ते पर एक कहानी ले कर आये है। हम आशा करते है की आपको ये हिंदी कहानी अच्छी लगे। 




रूह , रूह  उठ जा बेटा , सुबह के 7 बजने को है-मां  की आवाज़ से मेरी नीद खुली। इससे पहले की में कुछ भी बोलती मां कमरे में मेरी चाय ले के आ  गई ,और मुस्कुराते हुए  बोली  पता है मुझे तेरी ये सुबह की चाय की आदत  क्या कहते हो  तुमलोग इसको ,मैने मां के हाथ से चाय का कप लेते हुए बोला बेड टी।  हां -हां तेरी बेड टी, कहकर मां कमरे से निकल गई और मेरे लिए नाश्ता तैयार करने लगी।  मुझे भुक नहीं है मां,  इससे आगे की मै कुछ बोलती, वहां से मां की आवाज़ आई वो तो मुझे पता होगा ना तुझे भूक़ है या नहीं, अब जा  जा कर जल्दी से तैयार हो जा वरना लेट हो जाएगी कहते हुए मां फ़िर अपने काम में लग गई। 



मां 

आगे मैने भी कुछ नहीं कहा मेरी और मां की जायदा बात नहीं होती। हम मां बेटी कम ही बात करते है, वो जितना पूछती मैं जवाब दे देती, ऐसी कोई कड़वाहट नहीं है मेरे और मां के बीच फ़िर भी बस जायदा बात नहीं होती। मां के बुलाने पर मैं आकर डायनिंग टेबल पर बैठ गई।  मां नाश्ता परोसने लगी और फ़िर एक कटोरी दही सक्कर ले आई और मेरे हाथ में टिफिन थमा दिया। मैं कुछ देर तक ये सब देखती रही फिर मां की ओर देख कर मैने बोला- इन सबकी ज़रूरत नहीं है मां ,मैं  बस कॉलेज जा रही हूं जंग पर नहीं और इस टिफिन की भी कोई ज़रूरत नहीं है ,कैंटीन में खा लूंगी कुछ। मां टिफिन बैग में रखते हुए बोली-तुझे बाहर का खाना नुकसान करता हैं ना। 


मां बेटी 

 मैने मां के हाथ से बैग ले लिया और बोला -चलती हूं, वरना लेट हो जाऊंगी। मैं दो कदम चली ही थी की मैने सुना माँ मुझे आवाज़ लगा रही है, तो मैने पलट के देखा  - अल्ल दी बेस्ट कहता हुआ माँ के चेहरे पे हल्की सी  मुस्कुराहट और आंखों में हल्की सी नमी थी।  मैने भी  हाथ हिला दिया। 

मां को ऐसे देख के मेरा एक बार आने को मन नहीं किया फिर मन में किसी तरह  हिम्मत  बांधी ,आज तो कॉलेज का पहला दिन है आज जाना ही होगा वरना सारे प्रोफैसर की ब्लैक लिस्ट में आ जाऊंगी  और कॉलेज को निकाल आई। कॉलेज घर से काफ़ी दूर था , कॉलेज पहुंच कर सारे नए  चेहरों को देखा ,सब एक नई उमीद लिए हुए थे ,अलग ही खुशी थी सबके चेहरों पे सब एक दूसरे से मिलने में लगे थे ,कुछ सेल्फी ले रहे थे , कोई  नए दोस्त ढूंढ़ने में लगे थे , इन सबके बीच एक सबसे असेहज कुछ अलग सा हाल था मेरा। और हो भी क्यों ना , ऐसे किसी अनजान से लोग दोस्ती कैसे कर लेते है आज तक समझ नहीं आया मेरे ,जबकि अच्छे से पता होता है एक ना एक दिन सब अलग हो जाएंगे और कुछ तो इतने दूर चले जाते है की कभी लौट कर ही नहीं आते ,अचानक असेम्बली की आवाज़ से मेरा धायन टूटा। असेम्बली के बाद मैं जाकर अपने क्लास में बैठ गई और लेक्चरर्स  सुनने लगी बाकी सब तो अपने में ही मग्न थे , मानो आज के बाद  फिर कभी मिल नहीं पाएंगे , खेर कॉलेज की छुट्टी  हुई और मै बिना किसी से कोई भी बात किए अपने घर को चली आई। 


Mother’s love 

घर पहुंच कर मैने बैग एक किनारे रखा और लेटी ही थी कि रूह ,मां की आवाज़ आई ,खाना क्यों नहीं खाया तूने- मां ज़रा गुस्से से बोली ,मा वो आज थोड़ा ज्यादा काम था पहले दिन था ना कॉलेज का  तो , मा ने आगे कुछ नहीं कहा सायाद कहीं ना कहीं वो भी समझ गई थी की मैं ज्यादा बात नहीं करना चहतीं फ़िर मै उनसे बात करती भी तो क्या ,कौनसा मां समझ पाती मैने मन ही मन कहा समझने वाला तो कब का चला गया ! इतने में मां की आवाज़ आई रूह आके खाना खा ले बेटा तूने कब से कुछ नहीं खाया, हा बस आ रही हूं मां। मैने किताबो को बैग से निकलते हुए बोला , फ़िर मा और मैं डायनिंग टेबल में बैठ कर खाना खाने लगे ,मा आज कुछ ज्यादा ही चुप लग रही थी तो बात की शुरुआत इस बार मैने की ,तबियत ठीक है ना आपकी मैने पूछा - हा में बिल्कुल ठीक हूं रूह ,मां ने हस्ते हुए जवाब दिया ,मैने भी हुनम कह कर बात ख़तम कर दी , और कुछ भी सोचा है क्या पढ़ाई के साथ साथ करने को ,मा ने पूछा ,मैने टेबल पे ग्लास रखते हुए  हा में सर हिलाया।   कॉलेज के बाद काफ़ी वक़्त बच जाता हैं , तो कोचिंग पड़ाने का सोचा है ,कल से ही शुरू कर दूंगी , कल से ही ,मैने फ़िर सर हा में हिलाया और वहां से जाने को ही थी की , रूह तुझे याद है बेटा तेरा बर्थडे है कल -मा ने  ज़रा धीमी आवाज़ में कहा ,मां ने किचन में बर्तन रखते हुए बोला इस बार तो मैं अपनी रूह के लिए  चॉकलेट केक  बनाऊंगी ,और तेरे लिए पिंक बलूनस का डेकोरेशन करूंगी। माँ बोले जा रही थी और मैं मानो किसी ने मेरे घाव पे नमक छड़क दिया हो ,इससे पहले की मां आगे कुछ बोलती मैं गुस्से से तंतनाते हुए बोली ' बस माँ ये क्या बर्थडे बर्थडे लगा रखा है बच्ची हूं क्या में छोटी सी ,और क्या सेलिब्रेट करू इसमें क्या नया है बर्थडे तो हर साल ही आता है ना ,और भूल गईं हो क्या आप कल क्या हुआ था , क्यों करती हो आप ऐसा आपकी भी तो माँ थी ना वो। मेरी बातें सुनकर माँ दुःखी हो गईं और इससे आगे की माँ कुछ कहती मैं बड़ी ज़ोर से पैर पटकते हुए अपने कमरे में चली गईं और अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया।


Mother’s Day 

 मां ने कई बार आवाज़ लगाइ “रूह ,रूह बेटा सुन तो सही”, माँ प्लीज़ जाओ मैने रोते हुए कहा। माँ मेरे जिद्दी स्वाभाव को अच्छे से जानती थी ,इसलिए वो वहा से  कुछ देर के लिए चली गईं , मैं बस रोए जा रही थी।भूल कैसे गई माँ तुम वो दिन जब सब खत्म हो गया था ,हा वहीं मनहूस दिन मेरा जन्मदिन जब नानी चली गईं थी मुझे छोड़ कर , तुम्हें छोड़ कर हम सबको छोड़ कर चली गई थी वो। मै अपने कमरे में तक्या ले कर एक किनारे बैठ गई और अपना बचपन याद करने लगी। वो खूबसूरत दिन जब  मम्मो साथ थी मेरे प्यार से  मै अपनी नानी को मम्मो कह कर पुकारती थी, मेरा बचपन मेरी नानी के साथ ही बिता , इसलिए सबसे ज़्यादा उन्हीं से हीली थी। उनके बिना तो एक मिनट नहीं रुकती थी मैं कहीं मेरा रूह नाम भी मेरी नानी ने कितने प्यार से रखा था ,ना जाने कितने नामो से पुकारते थी वो मुझे कभी गुड़िया,कभी गुड़ों, सोना और पता नहीं क्या क्या ,मैने जब से होश संभाला अपनी नानी को ही देखा। कितना कुछ करती कितना थी वो मेरे लिए , बस एक बार बोलने की देरी होती, फ़िर ऐसा हो ही नहीं सकता कि वो बात मानी ना जाए और हा पूरे साल भर एक ही दिन का इंतज़ार रहता था उन्हें। 


मां बेटी की कहानी 

 कितनी खुश हो जाती थी वो मेरे जन्मदिन आने से पहले, मेरे याद आने से पहले तो उन्हें याद आ जाता था ,मेरी नानी का हर बार एक सवाल ज़रूर होता था  "मेरी गुद्दो का बर्थडे आने वाला है इस बार क्या करेगी अपने बर्थडे पे ",में अपनी नानी के ओर देखती और उनकी गोद पर अपना सर रखते हुए बोलती ,क्या करना है ये तो आप जानो ,आपकी गुड़िया का बर्थडे है ना ,ये सुनकर वो मुस्कुराती और अपने हाथ से मेरा सर सहलाने लगती। 

 पता ही नहीं चला मैं कब बड़ी हो गई और फिर वो दिन आ  गया जब मुझे नानी से दूर जाना पड़ा ,अपनी पढ़ाई के लिए मुझे हॉस्टल जाना पड़ा ,मुझे पूरे साल बस गर्मी की छुट्टियों का इंतजार रहता ताकि जल्दी से वापस नानी के पास चली जाऊं ,और मुझे देख कर उनके चेहरे का नूर अलग ही होता था, उनकी आंखे सारी बाते कह जाती थी मुझसे,और गले तो ऐसे लगा लेती थी मुझे जैसे जन्मों बाद मिली हो। 

वक़्त बीतता गया  फ़िर नानी की तबियत कुछ खराब रहने लगी, हमने उन्हें कई डॉक्टर्स को दिखाया ,पर उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ , एक शाम में उनके पास जा कर बैठ गई  इसे पहले की में कुछ बोलती उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और मुझे देखते हुए बोली , अब उम्र हो गई है मेरी ,अब परलोक जाने का वक़्त हैं।  मैं समझ गई थी नानी क्या कहने वाली है वो तो मैने उनके हाथ को पकड़ते हुए बोला-कुछ भी बोलती हो  ना आप ,मुझसे प्यार नहीं है ना आपको ,दिल भर आया था मेरा पर रो भी तो नहीं सकती थी नानी के सामने , मैने नानी को चादर उड़ाई और अपने हाथो को उनके सर पे सहलाने लगी थोड़ी देर बाद वो सो गई ,और में वहा से उठ कर  सीधे माँ के पास आई और उनके सीने से लग कर बोली- माँ - मम्मो और फूट फूट कर रोने लगी। 


Mother’s love 

 इतने सालों में सयाद पहली बार हुआ था ऐसा कुछ  जब मैने अपनी माँ के साथ अपनी कोई तकलीफ़  शेयर की थी क्युकी ,अब तक तो मै सब कुछ अपनी नानी से शेयर करती थी अब भला उन्हीं के बारे में उनसे कैसे बात करू। “तू फ़िक्र मत कर , मम्मो ठीक हो जाएंगी” कहकर किसी तरह माँ मुझे ताथास बांधने लगी।  मैने अपने आसू पोछे और एक झूठी सी मुस्कुराहट लेके फिर नानी के पास चली गई नीचे जा कर देखा तो नानी ऊपर ही आ रही थी  मैने तुरंत जाके उनका हाथ थामा "ये क्या कर रही हो आप मम्मो , मना किया है डॉक्टर ने आपको ऊपर नीचे करने को और आप हो कि ,गलती मेरी ही है कुछ चाहिए था तो आवाज़ लगा देती”। अरे बस बस- मेरी नानी मेरी बात को काटते हुए बोलीं ,इतनी बड़ी हो गई है मेरी रूह इतनी समझदार ,कल से तो और बड़ी हो जाएगी , मुझे अचानक याद आया कल तो बर्थडे हैं मेरा ,नानी ने मुझे मेरे खयालों से बाहर निकाला ,तुझे तो याद होगा नहीं मेरे सिवा कहा कुछ याद रहता है तुझे " कल की तैयारी करने जा रही हूं तुझे बहुत पसंद है ना मेरे हाथ का खाना ,नानी उठने को ही थी कि "मैने उन्हे रोकते हुए बोला , मम्मो तबियत ठीक नहीं है ऐसे ज़िद मत करो " इससे पहले कि नानी कुछ बोलती मैने ज़रा रुआसी सूरत बना के कहां , प्लीज मान जाओ इस बार नहीं और मेरा बर्थडे तो तुमसे है ,ये सब तो होता रहेगा और इस बार पहली बार नानी ने मेरी बात मानी थी और आखरी बार भी। 

 मैने नानी को रात का खाना खिलाया और दावा दे दी और उन्हीं के पास पड़े बिस्तर पर लेट गई नानी मुझे देख कर मुस्कुरा दी और दवा के असर के कारण उन्हें जल्दी नीद आ गई ,कहा पता था आज आखरी बार नानी मुझे देख रही है ,अब वो कभी लौट कर नहीं आयगी ,वरना सोने ही ना दिया होता उन्हे , फ़िर अगली सुबह जैसे ही नीद खुली ,मैने नानी की ओर देखा,आज क्या हो गया है मम्मो को रोज़ तो मुझसे पहले उठ जाती थी ,और आज आज तो बर्थडे है मेरा ,कल तक ये आज की बातें करती नहीं थक रही थी और आज देखो कैसे घोड़े बेच के सो रही है मैने मन में सोचा। 

story of hindi 

“ मम्मो -मम्मो” मैने आवाज़ लगाई ,क्या बात है कितनी गहरी नीद में है मैमो मैने सोचा और जैसे ही उठ कर उनकी पास पहुंची मेरे पैरो तले ज़मीन खेसक गई।  "मम्मो -मम्मो " में कपकपाती आवाज़ में बोली फिर अचानक से रोने लगी मा दौड़ते हुए नीचे आई और अचानक हि बेहोश  होने लगी ,मैने जैसे  तेसे माँ को संभाला। ये सब क्यू हुआ अगर आज का दिन नहीं आता तो नानी कभी नहीं जाती मुझे छोड़ के , अचानक से बारिश की आवाज़ आई ,और में अपने ख़यालो से भाहार आई।  पता ही नहीं चला रात कब हो गई ,में भाहर गई माँ कब से इंतज़ार कर रही थी मेरा ,मैने एक बार देखा भी नहीं मां की ओर ,खाना रखा था माँ ने मेरे लिए बना के ना उस रात मैने खाना खाया ,ना माँ से कोई बात की और जाकर अपने कमरे में सो गई। 

अगली सुबह मै माँ के उठने से पहले ही उठ गई ,और कॉलेज को निकल गई बिना कुछ बताएं , कॉलेज खुलने में अभी वक़्त था ,घर वापस जाने का मन नहीं था मेरा ,मां से अब बात करने का मन भी नहीं था ,समझी ही कहा थी वो मुझे  कभी जो अब समझ लेती , थोड़ी देर ऐसे ही चेहल कदमी करती रही , कॉलेज में भी रोज की तरह ही दिन गुज़रा , छुट्टी होने के बाद  भी में बस यूंही ईधर - उधर कर वक़्त निकाल रही थी ,माँ की 20 मिस कॉल आ चुकी थी और कितने मैसेज पड़े थे। मैंने एक मैसेज का जवाब भी नहीं दिया। 





मां 

तभी अचानक मेरी नजर एक छोटे बच्चे पे पड़ी ,जो करीबन 7 साल का होगा , पता नहीं क्यूं मेरे मन ने कहा उसके पास जाऊ और पूछूं उससे क्या हुआ ,उसके साथ कोई बूढी औरत थी और शायद उसके पापा भी खड़े थे उसके पास।  वो बच्चा बड़ा चुप सा खड़ा था ,मैं उसके पास जा कर बैठ गई और पूछा क्या हुआ - मम्मी चली गई , हम सबको अकेला छोड़ के , उस बच्चे की बात मै सुनती ही रह गई रास्ते भर बस यही याद आता रहा कि , मेरी मां का तो मै एक अकेला सहारा हूं , मै जैसे ही घर पहुंची माँ ने मुझे गले से लगा लिया ,और इससे पहले वो कुछ बोलती आई एम् सोरी माँ मैने कहा ,माँ रोने लगी उन्हें देख कर मुझे भी रोना आ गया।

hindi ki kahani, story of hindi

"मां मैं कभी तुम्हे समझ नहीं पाई, मैंने कभि कोशिश ही नहीं की तुम्हें समझने की। मैं बस खुद के बारे में ही सोचती रही , नानी के जाने के बाद मैं बहुत अकेली हो गई थी। तुम्हें  कितना बुरा लगा होगा ये कभी समझा ही नहीं ,इससे आगे की मै कुछ कहती ,माँ ने मुझे गले लगा लिया और बोला पुरानी बाते भूल जा तुझे पता है तू जान है सबकी इसीलिए तेरी नानी ने तेरा नाम रूह रखा था अब अगर तेरी नानी तुझे ऊपर से देख रही होंगी तो कितना अपसेट होंगी। माँ चलो केक कट करते हैं -मैने कहा।  माँ ने मेरे सामने मेरा फेवरेट चॉकलेट केक लेकर रख दिया।  हैप्पी बर्थडे माँ - मैंने बोला। अरे पगली  तेरा बर्थडे है आज। नहीं मां हमारा बर्थडे है आज -मैने हस्ते हुए कहा।  तो ये थी मां बेटी की कहानी। 


ये hindi ki kahani आपको बहुत पसंद आएगी। mothers day पर आप ये hindi ki kahani आप अपनी मां के साथ शेयर करे। ये हिन्दी कहानी आप व्हाट्सअप, फेसबुक, और इंस्टाग्राम के दवारा सबको शेयर करे।


Comments

Popular posts from this blog

horror story-short story in Hindi

Best 50+ Hindi shayari| Shayari in hindi

A love story in Hindi- red rose